28/11/2010 12:32
हिंद स्वराज का दुर्बल पक्षडॉ. लोहिया ने 1963 में लिखा था, गांधी जी ने दार्शनिक और कार्यक्रम-संबंधी उदारवाद का जो मेल बिठाया, उसका मूल्यांकन करने का समय शायद अभी नहीं आया है।...अधिकांश देशवासी आजादी की प्राप्ति को ही उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मानते हैं। दरअसल वह कोई उपलब्धि नहीं है। उनके बिना भी देश अपनी आजादी हासिल कर लेता...उनके रहते कौम और देश का बंटवारा हुआ। कुछ विवेकशील विदेशियों की राय में गांधी दुःखी, पीड़ित और दबे हुए लोगों की...